कई ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हे ये पता नहीं होता है की कंप्यूटर में काम करने वाले डिस्प्ले को क्या कहते हैं. कई लोग तो उसे मनोरंजन का साधन ही समझ लेते हैं. आज हमने सोचा की आपको बताया जाये की कंप्यूटर मॉनिटर क्या है (What is Monitor in Hindi)? और इसके कार्य क्या है?
मॉनिटर का परिचय
मॉनिटर को आउटपुट डिवाइस भी बोला जाता है क्यों की ये सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन में दिखाता है. मॉनिटर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ा होता है जो यूजर के हर मूवमेंट को स्क्रीन पर उसी वक़्त दिखाता है जिस वक़्त काम किया जाता है.
जैसे माउस और कीबोर्ड से जो भी डाटा इनपुट करते हैं उसे हम इस आउटपुट डिवाइस में देख कर ही कर पाते हैं. मॉनिटर ऐसा आउटपुट डिवाइस होता है जो हमे जानकारी text, images और video के रूप में दिखता है.
पहले मॉनिटर को बनाने के लिए Cathode ray tubes (CRT) का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे ये साइज में बहुत बड़े होते है और उनका वजन भी ज्यादा होता है.
लेकिन आजकल flat-screen वाले LCD बहुत अधिक इस्तेमाल किये जाते हैं चाहे वो लैपटॉप हो, PDA या फिर कंप्यूटर मॉनिटर.
जिसे flat panel display technology भी बोलते हैं. इस तरह के डिस्प्ले डिवाइस वजन में बहुत हलके और पतले हो चुके हैं इनको बहुत आसानी से carry किया जा सकता है और ये बहुत कम पावर में चलती हैं.
Computer monitor definition in English
A monitor is an electronic device which is called as an output device of a computer system. It works as an interface between a user and CPU. It shows all the information in the form of text, image, and video. It is also called as Visual Display Unit in short VDU.
मॉनिटर की परिभाषा – Definition of monitor in Hindi
ये एक इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र होता है जिसे कंप्यूटर सिस्टम का आउटपुट डिवाइस भी बोला जाता है. ये उपयोगकर्ता और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के बीच एक माध्यम की तरह काम करता है.
ये जानकारी को फोटो, text और वीडियो के रूप में हमे अपने स्क्रीन में दिखाता है. इसे विसुअल डिस्प्ले यूनिट के नाम से जाना जाता है जिसे संक्षिप्त में VDU कहा जाता है.
मॉनिटर का फुल फॉर्म क्या है? - What is the full form of Monitor?
वैसे देखा जाए देखा जाये monitor शब्द का अपना अर्थ होता है जिसका मतलब है एक ऐसा यंत्र है जो दिखाता है या प्रदर्शित करता है. इसके कई प्रकार होते हैं जिनका संक्षिप नाम होता है और जिसके फुल फॉर्म भी होते हैं.
वैसे अगर हम ऐसे ही कहें तो इसका फुल फॉर्म होता है:
M – Machine
O – Output
N – Number of
I – Information
T – To
O – Organize
R – Report
CRT Monitor – Cathode Ray Tube
Liquid Crystal Display
LED – Light Emitting Diode
मॉनिटर का आविष्कार किसने किया? - who invented the monitor
कैथोड रे मॉनिटर का आविष्कार कार्ल फर्डीनांड ब्राउन (Karl Ferdinand Braun) ने किया था.
इस का आविष्कार उन्होंने सं 1897 ईस्वीं में किया था जब उन्होंने पहली बार कैथोड रे ट्यूब की रचना की थी. वो एक जर्मन वैज्ञानिक थे.
मॉनिटर कैसे काम करता है? -How does the monitor work?
मॉनिटर एक विसुअल आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है. ये पिक्चर, इमेज और लिखे हुए शब्दों को रियल टाइम में हमे दिखाता है.
जिसकी सहायता से एक यूजर कंप्यूटर के साथ interact कर पाता है और अपनी मर्जी से किसी एप्लीकेशन को खोल पता है और उस पर काम कर पाता है.
दोस्तों आप तो जानते ही हैं की ये क्या काम करता है.नहीं जानते तो आज जान ले की ये मॉनिटर का मुख्य function है display करना इसीलिए इसे अलग अलग नामो से भी जाना जाता है जैसे screen, display unit, visual unit, video display, video screen इत्यादि.
कंप्यूटर में एक video graphic card लगा होता है. यही graphic card information को convert कर के visual के रूप में इस डिवाइस में दिखाता है.
जब भी कोई डाटा हम इनपुट डिवाइस की मदद से इनपुट करते हैं वो CPU में जाता है और वहां से process हो जाने के बाद उसे output device यानि मॉनिटर में display करने के लिए CPU भेज देता है.
मॉनिटर की विशेषता – Features in Hindi
आज आप नए बाजार से घिरे हुए हैं जहाँ अक्सर मॉनिटर से जुड़े नए शब्द LCD, OLED, TN, IPS इत्यादि सुनते रहते होंगे.
लेकिन आज लोग आपसे ये जरूर पूछते होंगे की आपके घर में मॉनिटर कितने साइज का है. तो क्या आपका डिवाइस भी 1080 resolution का है और आपको 4K या 5K डिस्प्ले की जरुरत है?
क्या आप dual मॉनिटर सेटअप करना चाहते हैं. इस तरह की कई विशेषताओं के आधार पर ही लोग अपने डिवाइस का चुनाव करते हैं. तो चलिए देख लेते हैं इस की कुछ ख़ास विशेषताएं.
Monitor Size
बड़ा है तो बेहतर है ये तो आपने जरूर सुना होगा. अब काफी अच्छे क्वालिटी के display Full HD (1920 * 1280) आकर में आते हैं.
वो वक़्त तेज़ी से पीछे छूट रहा है जब लोग 15 इंच के डिस्प्ले में काम किया करते थे. इसकी जगह बड़े आकर के Display का प्रयोग होना शुरू हो चूका है.
Display resolution
डिस्प्ले आकार बढ़ने के साथ जो सबसे महत्वपूर्ण फीचर ये है की पिक्चर क्वालिटी अच्छी होनी इसके लिए अब 4K range के डिवाइस बाज़ार में तेज़ी से छाने लगे हैं. 27 इंच का 16:9 4K Ultra HD डिस्प्ले इस्तेमाल हो रहे हैं.
Panel type, Viewing Angles
अगर हम डिस्प्ले की बात करें तो Panel type कई तरह के होते हैं.
- TN-Twisted nematic,
- IPS- In-Plane Switching,
- MVA- Multi-domain vertical arrangement,
- PVA- Patterned vertical arrangement,
- SPVA- Super PVA काफी फेमस है.
कुछ डिस्प्ले ऐसे होते हैं जिनके viewing angle बहुत कम 90/60 डिग्री होता है और कुछ के अधिक 170/170 डिग्री होते हैं.
Aspect ratio
आज से कुछ समय पहले तक 4:3 का aspect ratio इस्तेमाल होता था लेकिन अब वो दिन गए आजकल ऐसे डिस्प्ले कोई भी पसंद नहीं करता.
16:9 aspect ratio वाले मॉनिटर सबसे आरामदायक होते हैं जिस पर काम करने भी काफी मज़ा आता है.
मॉनिटर के प्रकार क्या हैं – Types of Monitor in Hindi
अपने ऑफिस और घर में काम करने के लिए ज्यादार लोग डेस्कटॉप का प्रयोग करते हैं. आज के समय में बाजार में मॉनिटर भी कई प्रकार के हैं जो अलग अलग shape, size, और design में आते हैं.
यहाँ हम जानेंगे की इसके कितने प्रकार होते हैं और ये एक दूसरे से कैसे अलग हैं. तो चलिए जानते हैं विस्तार से.
CRT – Cathode Ray Tube
इस तरह के मॉनिटर में CRT technology का इस्तेमाल किया जाता है. Cathode ray tube technology का इस्तेमाल television के screen बनाने में भी किया जाता है.
CRT के flouroscent screen में image दिखाने के लिए बहुत ही high energy electrons की धरा का उपयोग किया जाता है.
एक cathode ray tube मुख्य रूप से एक vaccume tube होती ह जिसके एक side में electron की एक gun होती है और दूसरे side में एक flouroscent screen होती है.
आपने अक्सर देखा होगा की जो पहले के टेलीविज़न हैं उनमे भी एक पिक्चर ट्यूब का इस्तेमाल जाता था जिसके वजह से ये काफी bulky होते है और इनका वजन भी काफी ज्यादा होता है. इनको चलाने में भी बिजली बहुत खर्च होती है.
आज के समय में भी कई ऐसे organization हैं जहाँ पर CRT को आप देख सकते हैं. कई सारे सरकारी दफ्तरों में अब इनका इस्तेमाल बंद हो चूका है.
इसका मुख्य कारण यही है की ये काफी heavy और costly होते हैं इसीलिए अब हलके और सस्ते मॉनिटर को इनकी जगह पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
Liquid Crystal Display (LCD)
आज के समय में सबसे विकसित और अच्छे डिवाइस में से LCD मॉनिटर भी एक हैं. इसे Liquid Crystal Display और Liquid Crystal Diode के नाम से भी जाना जाता है.
अगर हम बात करें तो इसमें रंग या monochrome pixel की एक परत होती हैं जो 2 transparent electrode और 2 polarizing filters के बीच में schematically arranged होती है.
इसमें optical effect के बनाने लिए light के अलग अलग amount को polarize कर के liquid crystal layer से pass कराया जाता है.
इस तरह screen पर images बन कर हमे दिखाई देते हैं. अभी के समय में 2 तरह LCD technology उपलब्ध हैं. इसमें से एक Active matrix या TFT और दूसरा है Passive matrix.
हाल ही में LCD मॉनिटर काफी पॉपुलर हुए हैं और ये लोगों की पहली पसंद है. इसका कारण ये है की ये compact होते हैं. ये वजन में हलके होते हैं.
इनको डेस्क में रखने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत नहीं पड़ती. इन से एक बहुत बड़ा फायदा ये है की ये ज्यादा बिजली खर्च नहीं करती और ये बैटरी से भी चल सकती है.
Light Emitting Diode (LED)
आज के समय में LED बाजार में available सबसे नए डिस्प्ले हैं. LCD की तरह ही ये भी flat panel display या slightly curved display वाले होते हैं.
इसमें back lighting के लिए light-emitting diodes का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि LCD में back lighting के लिए Cold cathode fluorescent का इस्तेमाल किया जाता है.
LED काम करने के लिए CRT और LCD दोनों से की तुलना में कम बिजली खर्च करती है. इसीलिए इसे eco-friendly भी बोला जाता है. ये बहुत ही high contrast में इमेज को बनाते हैं. इन्हे dispose करने पर भी ज्यादा प्रदुषण नहीं होता है.
LED का जीवनकाल काफी लम्बा होता है यानि इसकी durability LCD और CRT से काफी ज्यादा होती है. ये ऐसी technology है जिसकी वजह से इसे बहुत पतला बनाया जाता है.
जब ये चलते हैं तो ये ज्यादा गर्म नहीं होते. आप अगर CRT को देखे तो ये काफी heat produce करते हैं जिससे बहुत गर्म हो जाते हैं. LED दूसरे मॉनिटर की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं.
Plasma
Plasma screen या plasma display high contrast वाले स्क्रीन होते हैं जिन में vibrant colors और brightness होती है.
ये visula experience को और बेहतर बनाते हैं. ये plasma discharge के सिद्धांत पर काम करती है जिसे ideally glass के flat panel में discharge कराया जाता है.
इस discharge में 2 composition होते हैं xenon और neon जिसमे mercury का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
Screen के हर एक pixel को रोशन करने के लिए plasma के एक छोटे से हिस्से या फिर charged gas का प्रयोग किया जाता है.
Plasma display डिज़ाइन में CRT displays से पतले होते हैं और ये LCD से ज्यादा brighter होते हैं.
Plasma display मार्केट से लगभग गायब ही हो चुके हैं. ऐसा इसीलिए क्यों की इसी वक़्त बहुत कम दाम में LCD भी बाजार में मौजूद हो चुके थे. जबकि Plasma LCD की तुलना में काफी महंगा होता है.
SED – Surface conducted electron emitted Display
SED का फुल फॉर्म है Surface conducted electron emitted display. ये बहुत होइ High-resolution और flat panel display वाले स्क्रीन हैं.
इन में से कुछ को diagonally measure करें तो ये 40-inch से भी ज्यादा के display unit होते हैं. SED में nanoscopic-scale electron emitters का प्रयोग कर के colored phosphorus को energize किया जाता है जिससे की इमेज बनती है
इस तरह के display unit को बनाने के लिए electron emitted array और phosphorus के layer का इस्तेमाल किया जाता है. Array और phosphorus layer के बीच एक पतली sheet जो की air को pass करने में मदद करती है.
SED ऐसे display होते हैं जो CRT की तुलना में कम power खर्च करते हैं और higher resolution picture देते हैं.
OLED – Organic Light Emitting Diode
Organic Light-emitting diode(OLED) भी एक LED display होता है जिसमे emissive electroluminescent organic compound एक film के रूप में होती है.
जब इसमें electric current pass कराया जाता है तो ये light produce करती है. ये organic layer 2 electrode के बीच में होती है जिस में से एक electrode transparent होता है.
OLED तकनीक का इस्तेमाल television screen, smartphone, Game console और PDA में भी इस्तेमाल किया जाता है.
OLED display को काम करने के लिए backlight की जरुरत नहीं पड़ती क्यूंकि की ये visible light produce करती है.
इसीलिए ये LCD की तुलना में बहुत पतले बन सकते हैं और बनाये भी जा रहे हैं. और ये वजन में बहुत हलके होते हैं.
इसकी पिक्चर क्वालिटी बहुत ही अच्छी होती है. ये भविष्य में और भी सस्ते होते जायेंगे. OLED चलने के लिए बहुत कम बिजली की खपत करते हैं.
Dual Monitors
एक बड़ा मॉनिटर का इस्तेमाल करने की जगह ऐसा भी कर सकते हैं की इसकी जगह 2 अलग अलग डिस्प्ले यूनिट का इस्तेमाल किया जाये.
ये कंप्यूटर में इस्तेमाल किये जाने वाले video कार्डका फीचर होता है. वीडियो कार्ड का इस्तेमाल करके कंप्यूटर में वीडियो से जुड़े कुछ ऐसे काम कर सकते हैं जो साधारण इस्तेमाल किये जाने वाले सिस्टम में हम नहीं कर सकते हैं.
जैसा की नाम से ही पता चलता है की इस में 2 display unit होते हैं जो एक के बगल में दूसरा लगा हुआ होता है. Clone के रूप में एक ही इमेज को दोनों जगह दिखाया जाता है.
Dual view का इस्तेमाल कर के एक मॉनिटर दूसरे का extension बन जाता है. जिस में हम माउस के cursor को एक मॉनिटर से दूसरे में ले जा सकते हैं.
Clone फीचर का इस्तेमाल वैसे जगह में किया जाता है जहाँ पर viewers बहुत हो लेकिन स्क्रीन छोटे हो तो अनेक output device लगा कर एक ही वीडियो को सबको दिखाया जा सकता है.
Dual view mode का इस्तेमाल तब बहुत फायदेमंद है जब multiple task का काम हो रहा हैजैसे एक ही बार में multiple windows, spreadsheet और documents खुल रहे हो.
मॉनिटर का इतिहास – History of Monitor in hindi
कैथोड रे ट्यूब पहले कंप्यूटर मॉनिटर जिसका इस्तेमाल लोग कंप्यूटर के अंदर होने वाले प्रोसेस की जानकारी को देखते थे.
एक CRT वैक्यूम ट्यूब होता है जिसका एक छोर फॉस्फोरस से कोटेड किया हुआ होता है. जब इलेक्ट्रान इन पर स्ट्राइक करते हैं तो एक रौशनी निकलती है.
उस वक़्त बाज़ार में सिर्फ CRT ही डिस्प्ले के रूप में उपलब्ध थे इसीलिए लोग इसी का इस्तेमाल किया करते थे.
पहले के कंप्यूटर ऑपरेटर CRT में मुश्किल से ही टेक्स्ट देखा करते थे बल्कि इसकी बजाय इस में कलरलेस वेक्टर ग्राफ़िक देखा करते थे.
जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में विकास हुआ कलरफुल CRT आ गए जिसमे टेक्स्ट के साथ ग्राफ़िक्स और डायग्राम भी रंगीन हो गए.
कुछ ही सालों में टेक्नोलॉजी और विकसित हुई और पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया गया जो built-in टर्मिनल्स से बने हुए थे.
ये डिवाइस कम्पोजिट वीडियो को सस्ते CCTV मॉनिटर में आउटपुट कर सकते थे. 1976 में Apple कंपनी से ऐसे मॉनिटर को लोगों के सामने लाया जिसमे गेम कंसोल को सीधे कंप्यूटर और टीवी से जोडने के लायक बनता है.
CRT वजन में भारी हुआ करता था और साथ ही बहुत अधिक एनर्जी की भी खपत करता था. इस की तुलना में LCD में कम ऊर्जा का इस्तेमाल होता और साइज भी कम हो गया.
2007 में LCD ने CRT की जगह ले ली और बाजार में छा गया.
ये उसी साल नहीं बनाया गया बल्कि उसको बनाने का काम 1980 से ही चल रहा था। हालाँकि उस वक़्त LCD काफी महंगे हुए करते थे और परफॉरमेंस भी अच्छी नहीं थी.
संक्षेप में
मैं उम्मीद करता हूँ की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी. मैं आप सभी को आगे और भी अच्छी जानकारी आसान शब्दों में देने की कोशिश करता रहूँगा.
आज की पोस्ट में आपने जाना की कंप्यूटर मॉनिटर क्या है (What is Monitor in Hindi) और इसका आविष्कार किसने किया?
मेरे ख्याल से अब आपको बहुत अच्छे से समझ आ गया होगा की ये क्या होता है और कैसे काम करता है.
इसके अलावा आपने इस पोस्ट में ये भी जाना की मॉनिटर कितने प्रकार के होते हैं और इसकी विशेषता क्या है और कौन सा मॉनिटर अभी के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.
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